Hindi Shero Shayari
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Hindi Shero Shayari
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Hindi Shayari on Love
अपनों के दरमियां सियासत फ़िजूल है
मक़सद न हो कोई तो बग़ावत फ़िजूल है।
रोज़ा, नमाज़, सदक़ा-ऐ-ख़ैरात या हो हज
माँ बाप ना खुश हों, तो इबादत फ़िजूल है।
ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं, हासिल कहां नसीब से होती हैं।
मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं, जहां कश्तियां जिद्द पे होती हैं।।
जिसकी सोच में खुद्दारी की महक है,
जिसके इरादों में हौसले की मिठास है,
और जिसकी नियत में सच्चाई का स्वाद है,
उसकी पूरी जिन्दगी महकता हुआ गुलाब है।
कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ,
कि खुदा नूर भी बरसाता है … आज़माइशों के बाद!!
जब कभी फुर्सत मिले मेरे दिल का बोझ उतार दो,
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो।
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आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी राहो में बारहा रुक कर
हम ने अपना ही इंतज़ार किया
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
बदल जाओ वक्त के साथ
या फिर वक्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसो
हर हाल में चलना सीखो
अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
सिर्फ एक सफ़ाह
पलटकर उसने,
बीती बातों की दुहाई दी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी
रिहाई दी है।
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"खुशियां" आये 'जिंदगी' में तो...
चख लेना "मिठाई" समझ कर...
जब "गम" आये तो वो भी...
कभी 'खा' लेना "दवाई" समझ करl
कुछ 'हंस' कर "बोल" दिया करो...
कुछ 'हंस' कर "टाल" दिया करो!
उम्र भर की तरह 'क़ैद' होते हैं कुछ 'रिश्ते' जहाँ...
ज़मानत देकर भी 'रिहाई' "मुमकिन" नहीं हैं!
सदाक़त हो तो दिल सीनों से खिंचने लगते हैं वाइज़
हक़ीक़त ख़ुद को मनवा लेती है मानी नहीं जाती
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
Hindi Shayari on Love
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नफरत करके क्यो "बढ़ाते" हो 'अहमियत' किसी की...
माफ करके "शर्मिंदा" करने का तरीका भी तो कुछ 'बुरा' नही!
अभी कुछ 'दूरियां' तो कुछ फांसले बाकी हैं...
पल-पल सिमटती 'शाम' से कुछ 'रौशनी' बाकी है...
हमें यकीन है कि कुछ 'ढूंढ़ता' हुआ वो 'आयेगा' ज़रूर...
अभी वो 'हौंसले' और वो 'उम्मीदें' बाकी हैं!
"मोहब्बत" का 'कानून' अलग है...
इसकी अदालत में "वफादार" 'सजा' पाते हैं!
अगर तुम मेरे हमदर्द होते तो ये दर्द न होता
जमाना इतना दिलकश होता तो इसे दरकिनार न किया होता
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गर्दिशों में घिर तो गया हूं लेकिन
और भी मकबूल बनकर निकल आया हूं
मत जलाओ उन चिरागों को जिनसे हम अपना
दामन जला बैठते हैं ऐसे उजाले से तो अंधेरा अच्छा
Hindi Shero Shayari
जिंदगी का आशियाना हमसे बनता नहीं लाख
खुबसूरत हो मोहब्बत का बाग लेकिन हमसे संवरता नहीं
बदलता है ज़माने का रंग-ए-दस्तूर
बदले तुम भी तो तुम्हारा क्या कसूर।
कोई प्यार से जरा सी फूंक मार दे,
तो मैं बुझ जाऊं..
नफरत से तो तूफान भी… हार गए मुझे बुझाने में ।।
काम उनके जो बस काम किया करते हैं
अपने सपनों को अंजाम दिया करते हैं
पता नहीं फिर कुछ लोग रंग क्यों बदलते हैं
मुश्किल उनसे जो बदनाम किया करते हैं
खामोशियाँ – बहुत कुछ कहती हैं
कान नही दिल लगा कर सुनना पड़ता है
जमीन जल चुकी है आसमान बाकि है ,
वो जो खेतों की मदों पर उदास बैठे हैं,
उन्ही की आँखों में अब तक ईमान बाकि है ,
बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर ,
किसी का घर गिरवी है और किसी का लगान बाकि है ।
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लड़की कभी 'झूठी' "मोहब्बत" नहीं करती है...
क्योंकि उसमें 'जिस्म' की "हवस" नहीं होती है!
कैसे करेगी "दवा" असर अब हकीमो की...
जब सारी 'तकलीफों' का "इलाज तुम" हो!
अब किधर जा रहा है मुश्किल के ये भी हासिल
वो भी हासिल एक हम ही हैं जो बेसाहिल
तेरी आजमाइश कुछ ऐसी थी खुदा,
आदमी हुआ है आदमी से जुदा,
ज़माने को ज़माने की लगती होगी,
पर धरती को किसकी लगी है बाद दुआ,
उदासी से तूफान के बाद परिंदे ने कहा,
चलो फिर आशियाँ बनाते हैं जो हुआ सो हुआ।
Hindi Shero Shayari
हदे शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली,
सफ़र जो धुप का हुआ तो तजुर्बा हुआ,
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।
कहू क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे है
क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
तुम्हारा क्या तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी
मगर हम खांकसारों को बड़ी तकलीफ़ होती है
'बचपन' में जहां 'चाहा' "हंस" लेते थे जहां चाहा "रो" लेते थे...
पर अब "मुस्कान" को 'तमीज़' चाहिए और...
'आंसूओं' को 'तन्हाई' चाहिए!
ना हवस तेरे जिस्म की,
ना शौक तेरी खूबसूरती का
बेमतलबी सा बन्दा हूँ .
बस तेरी सादगी पे मरता हूँ
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